मूल विधि Part-1
विधिः- ऑस्टिन के अनुसार- विधि सम्प्रभु का समादेश है।
सम्प्रभुः- इसका अर्थ है कि ऐसे राष्ट्र की सरकार जो स्वतन्त्र निर्णय ले सके।
समादेशः- ऐसा आदेश जिसके उल्लघंन पर दण्ड का प्रावधान है। जैसेः- चोरी करने पर सजा।
विधि के प्रकार
- सामान्य कानूनः- यह किसी अधिनियम/ संशोधन से नही बनता बल्कि जनता हित में कोई द्वारा सीधा आदेश दिया जाता है। जैसेः- सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाना
- वैधानिक कानूनः- ये कानून किसी अधिनियम / संशोधन द्वारा बनाये जाते है। जैसेः- GST बिल
- अपराधिक / फौजेदारी कानूनः- इसमें अपराध से सम्बन्धित कानून होते है। जैसेः- लूट , हत्या आदि
- नागरिक / दीवानी कानूनः- नागरिकों के हित में होते है। जैसे सम्पत्ति विवाद आदि ।
- अपराधिक कानूनः– IPC (Indian Penal Code) 1860
भारतीय दण्ड संहिता -1960
अपराध की परिभाषाः- कोई ऐसा कार्य या कार्य को लोप कानून के अनुसार दण्डनीय हो तो वह अपराध कहलाता है।
- प्रक्रिया विधिः- Code of Criminal Procedure(CRPC)दण्ड प्रकिया संहिता – 1973
किए गए अपराध के लिए अपराधी को दण्डित करने के लिए कोर्ट और पुलिस द्वारा क्या-क्य और किस तरह से पहल की जायेगी।
जैसेः- हत्या के अपराध में पुलिस आरोपी को बिना वारंट गिरफ्तार करेगी और 6 माह तक कोर्ट द्वारा जमानत नहीं दी जाएगी।
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) 1860 का इतिहास
- 1833 को चार्टर एक्ट द्वारा भारत में लागू करने का प्रावधान आया।
- 1834 में पहले विधि आयोग का गठन हुआ।
- पहले विधि आयोग के अध्यक्ष लार्ड मैकले बने।
- इसी आयोग की सिफारिश पर भारतीय दण्ड संहिता 1860 का निर्माण हुआ।
- 6 अक्टूबर 1860 को भारतीय दंड संहिता का निर्माण पूरा हुआ और एसे भारत में लागु करने की मंजूरी मिली।
- 1 जनवरी 1862 को IPC भारत में लागू है। ( जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
- IPC में कुल 511 धारायें है जो 23 अध्यायों में बंटी हुई है।
- भारतीय दण्ड संहिता , 1860 विश्व का सबसे बड़ा दण्ड संविधान है।
- अनुच्छेद व धारा में अन्तर
अनुच्छेद धारा
- यह प्राथमिक कानून है। यह द्वितीय कानून है।
- यह बेसिक कानून है। यह कानून है।
- यह सर्वोच्च है। यह सर्वोच्च कानून नहीं है।
- प्राथमिक कानून का पालन न करने पर इसमें सजा का प्रावधान है।
नोटः- सिंगापुर , ब्रुनेई, पाक, बांग्लादेश , बर्मा व श्रीलंका की दण्ड संहिताएँ भी मैकाले दवारा बनाई गई भारतीय दंड संहिता पर ही आधारित है।
अध्याय |
धारा | वर्णन | महत्वपूर्ण तथ्य |
1. | 1 – 5 | उद्देशिका | |
2. | 6 – 52 | साधारण स्पष्टीकरण | |
3. | 53 – 75 | दण्डो के विषय में विस्तृत जानकारी | |
4. | 76 – 106 | साधारण अपवाद | Very Important |
5. | 107 – 120 | दुष्प्रेरण/उकसाना | |
5(A) | 120(A) -120(B) | अपराधिक षड्यंत्र |
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6. | 121 – 130 | राज्य के विरूद्ध अपराध |
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7. | 131-140 | तीनों सेनाओं से संबंधित |
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8. | 141 – 160 | अपराधों के विषय में |
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9. | 161-171 | लोकसेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराध |
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9(A) | 171a -171i | चुनाव संबंधित अपराध |
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10. | 172-190 | लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के विरूद्द अवमानना |
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11. | 191-229 | झूठा साक्ष्य वाले अपराध |
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12. | 230 – 263 | सिक्के व स्टाम्प सें संबंधित अपराध |
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13. | 264 – 267 | मापतौल से संबंधित अपराध | |
14. | 268 – 294 | लोक स्वास्थ्य , सुरक्षा , सुविधा, नैतिकता आदि से संबंधित अपराध | |
15. | 295 – 298 | धर्म संबंधी अपराध | |
16. | 299 – 377 | मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध | Very Important |
17. | 378 – 462 | संपत्ति को प्रभावित करने वाले अपराध | Very Important |
18. | 463 – 489 | दस्तावेजो सें संबंधित अपराध | |
19. | 490 – 492 | Breach of Trust | |
20. | 493 – 498 | विवाह से संबंधित अपराध | |
20(A) | 489(A) | दहेज से संबंधित अपराध | Very Important |
21 | 499 – 502 | मानहानि | Very Important |
22 | 503 – 510 | अपराधिक अपमान | |
23. | 511 | अपराध के प्रयत्न |
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महत्वपूर्ण IPC धाराओं का वर्णन
चैप्टर 1- धारा- 1 नाम /टाइटल जैसे भारतीय दण्ड संहिता 1860
चैप्टर 2- धारा- 22 चल संपत्ति की परिभाषा (जैसेः- कार, बाइक आदि)
धारा -34 सामान्य आशय ( जैसे 5 लोगों में से 4 किसी घर में डकैती करने गये 1 बाहर खड़ा होकर खतरे का सूचक हो तो वे सभी पांचो डकैती की धाराओं में अपराधी होगें क्योंकि सभी का आशय एक
था।
चैप्टर 3- धारा- 53 IPC में 5 प्रकार के दण्डो का उल्लेख है।
- मृत्यु दण्ड
- आजीवन कारावास
- कारावास
- जुर्माना
- संपत्ति का समअपरहण(कुर्की)
धारा-67 जुर्माना न भरने पर सजा का प्रबन्धन
50रू0 से कम – 2 माह
50 – 100 रू0 तक – 4 माह
100 से अधिक – 6 माह
धारा-73 एकान्त परिरोधः– कठोर दण्ड एक बार में अधिकतम 14 दिन के ले कुल मिलाकर 3 माह से अधिक नहीं हो सकती
चैप्टर 4- साधारण अपवाद
धारा (76 – 95) प्राइवेट प्रतिरक्षा/आत्मरक्षा का अधिकार धारा(96–106)
धारा-76 विधि द्वारा आबद्ध होते हुए किया गया कार्य अपराध नही।
जैसेः- पुलिस किसी गांव में सुरेश के स्थान पर गलती से दूसरे सुरेश को उठा कर ले जाये। या अनियन्त्रित भीड़ पर पुलिस द्वारा चलाई गई गोली।
धारा-77 न्यायिक कार्य करते हुए न्यायाधीश से गलती हो जाना, अपराध नहीं
धारा-78 न्यायलय के आदेश के अनुसरण में किया गया कार्य अपराध नहीं जैसे- जल्लाद द्वारा फांसी कब्जा हटाते समय मकान गिरने से कोई दब कर मर गया।
धारा-81 आवश्यकता का सिद्धान्त
जैसेः- लगातार खड़े मकानों में आग लग जाये तो एक मकान को तो एक मकान को तोड़ कर बाकी मकान को बचाना
धारा-82 7 वर्ष से कम के बच्चे द्वारा किया गया कोई कृत्य अपराध नहीं।
धारा-83 7 वर्ष से अधिक किन्तु 12 वर्ष से कम के बच्चे की अपरिपक्वता के कारण किया गया कृत्य अपराध नहीं।
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